सौर ऊर्जा | The Bright Future of Solar Energy: A Renewable Revolution 2023
Renewable Source Of Energy
सौर ऊर्जा यानी कि वह ऊर्जा जो सूर्य की किरणों से बनती है | हम सभी जानते हैं कि आज पूरा विश्व बिजली के संकट से जूझ रहा है इसका मुख्य कारण औद्योगिक क्षेत्र में लगने वाली बिजली के साथ-साथ कृषि, व्यापार और घरों में बिजली का उपयोग अधिक मात्र में बढ़ जाना है।
बिजली का निर्माण आज भी अधिकतर कोयले पर ही निर्भर है । इसके कारण विश्व में प्रदूषण की मात्रा का स्तर बहुत बढ़ गया है ।और यही वजह है कि मनुष्य में विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियां अपना घर कर रही है।
इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक और भी अन्य स्रोतों से बिजली उत्पादन पर नई-नई खोज करने का प्रयास कर रहे हैं।
वैसे तो कोयले के अलावा भी अन्य कई प्रकार से बिजली उत्पन्न की जा रही है ।उदाहरण के लिए पवन ऊर्जा( wind energy), भूतापीय ऊर्जा (nuclear energy), सौर ऊर्जा Solar energy ), पानी से बनने वाली ऊर्जा (hydro energy ) इत्यादि ।
इस प्रकार से उत्पन्न गई उत्पन्न की गई बिजली को हम renewable source of energy भी कह सकते हैं।
ऊपर बताए गए ज्यादातर विधि से बिजली निर्माण में अधिक खर्च होता है, इसके साथ ही अधिक भूभाग की आवश्यकता होती है और इनमें रखरखाव भी ज्यादा होता है।
सौर ऊर्जा
इसलिए आजकल केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने भी सौर ऊर्जा प्रकल्प पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है कारण की सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने में खर्च भी कम आता है, रखरखाव की कोई विशेष आवश्यकता नहीं होती है ।
और अगर हम चाहे तो प्रत्येक घर में भी सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न कर सकते हैं।
केंद्र सरकार और राज्य सरकारें विविध प्रकार से सौर ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए अपनी ओर से सब्सिडी भी प्रदान करती है।
आइए अब हम सौर ऊर्जा से बिजली किस प्रकार बनती है, इस विषय में और अधिक जानकारी हासिल करते हैं।
मुख्यतः सौर ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए सोलर पैनल, सोलर इनवर्टर और कहीं-कहीं पर बैटरी की भी आवश्यकता होती है।
सोलर पैनल से सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करके इनवर्टर तक पहुंचाया जाता है। यह इनवर्टर आवश्यकता अनुसार अल्टरनेट करंट (AC) और डायरेक्ट करंट (DC) प्रदान करता है ।
जहां तक बैटरी की बात है तो इसमें कुछ घंटों के लिए बिजली को स्टोर करके भी रख सकते हैं।
साधारणत: बिजली उत्पादन दो तरीके से की जाती है, एक है ऑफ ग्रिड और दूसरा है ऑन ग्रीड। ओन ग्रिड में बिजली हमारे इनवर्टर द्वारा संबंधित इलेक्ट्रिक कंपनी के नजदीक वाले पावर हाउस में चली जाती है और अपने आवश्यकता अनुसार हम उसी इलेक्ट्रिक कंपनी जिनका की मीटर हमारे घरों में लगा है, से बिजली का उपयोग कर सकते हैं। ओंन ग्रिड की अपेक्षा ऑफ ग्रिड से बिजली बनाना अधिक महंगा होता है कारण कि इसमें बैटरी की कीमत भी जुड़ जाती है। और यह ज्यादा समय तक टिकाऊ भी नहीं रहती। इसलिए इसका उपयोग इमरजेंसी में ही किया जाता है जैसे कि बड़े-बड़े हॉस्पिटल में , बड़े-बड़े कार्यालयों में, बैंकों में।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है और हमें अलग-अलग प्रकार से सब्सिडी भी प्रदान कर रही हैं।
किसान भाइयों के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें विशेष सब्सिडी देती है। इसमें हमें लागत का 10% ही पैसा देना पड़ता है बाकी पूरा खर्च सरकार वहन करती है।
साधारणत: घरों में लगने वाले सौर ऊर्जा प्रकल्प का खर्च 50,000 से ₹60,000 प्रति किलो वेट आता है।
हम अपनी आवश्यकता अनुसार हमारी ऊर्जा खपत को ध्यान में रखते हुए सौर ऊर्जा प्रकल्प का चयन कर सकते हैं।
ऐसा देखा गया है कि घरों में लगने वाले सौर ऊर्जा प्रकल्प का खर्च 8 से 10 वर्षों में पूर्ण रूप से वसूल हो जाता है।
आइए हम सभी पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान दे।
और अधिक जानकारी
Frequently Asked Question
1.सौर ऊर्जा प्रकल्प की उम्र कितनी होती है?
साधारणत: सौर पैनल 20 से 25 वर्ष तक चल सकते हैं। अलग-अलग कंपनियां सोलर इन्वर्टर पर 5 वर्ष से 7 वर्ष तक की गारंटी देती है।
उसी तरह बैटरी पर भी 5 वर्ष तक की गारंटी मिल सकती है।
2.क्या घरेलू एवं औद्योगिक उपयोग के लिए सौर्य ऊर्जा प्रकल्प पर सरकार किसी प्रकार की सब्सिडी देती है ?
नहीं,इस प्रकार की अभी तक कोई भी सब्सिडी सरकार द्वारा घोषित नहीं की गई है।
3.कृषि हेतु सौर प्रकल्प प्राप्त करने के लिए आवेदन कहां कर सकते हैं ?
कृषि हेतु सौर प्रकल्प लगाने के लिए आप संबंधित ग्राम पंचायत में पटवारी कार्यालय में, अथवा ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं।
4.सरकारी योजना के तहत प्राप्त होने वाले सौर ऊर्जा प्रकल्प में किन-किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है ?
आधार कार्ड, 712 का दाखिला कृषि अधिकारी द्वारा सिफारिश किया गया पत्र इत्यादि।
इच्छुक व्यक्ति अपने नजदीक के कृषि अधिकारी कार्यालय में जाकर और अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं।
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