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अक्षय तृतीया – Pray for abundance of Prosperity and Wealth on Akshay Trutiya 2023

अक्षय तृतीया

Akshay Tratiya अक्षय =अ+क्षय मतलब अक्षय जिसका कभी क्षय ना होना यानी कभी नष्ट ना होना


प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष को आने वाली तिथि को अक्षय तृतीया कहते हैं। हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन धर्मावलंबी भी इस दिन को धर्म के अनुसार मनाते हैं ।

किसी भी शुभ कार्य का आरंभ हम इस तिथि को कर सकते हैं । इस तिथि में पूरा दिन ही शुभ मुहूर्त कहलाता है ।
अक्षय तृतीया को आखातीज याअक्षय तीज भी कहते हैं।


इस तिथि से वसंत ऋतु की समाप्ति एवं ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है।

अक्षय तृतीया का महत्व

सृष्टि के आरंभ से ही अक्षय तृतीया का महत्व माना गया है। कहते हैं कि सतयुग और त्रेता युग का आरंभ भी इसी तिथि से हुआ था। इसी तिथि को भगवान विष्णु ने परशुराम, हयग्रिव , नर नारायण के रूप में इस धरा पर अवतरित होकर राक्षसों का नाश किया था।

ब्रह्मा के पुत्र अक्षय कुमार भी इसी तिथि को जन्मे थे।


अक्षय तृतीया के दिन श्री हरि व धन की प्रदाता मां लक्ष्मी की पूजा करने पर घर में सुख शांति का वास चीर काल तक बना रहता है। इस दिन किया जाने वाला कोई भी शुभ कार्य विशेष फलदाई होता है।


प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण जी के मंदिर के कपाट भी इसी तिथि पर खुलते हैं और विशेष सिर्फ इसी तिथि को ही श्री बद्री-नारायण जी के चरणों के दर्शन श्रद्धालु वर्ष भर में सिर्फ इसी दिन कर सकते हैं।

अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया में पूजा का महत्व व विधि –

अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु की विधि – विधान से पूजा की जाती है । इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नजदीकी पवित्र नदी, तालाब अथवा कुंए के जल से स्नान कर भगवान विष्णु व धन की देवी माता लक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए ।

उन्हें सफेद कमल, सफेद या पीले गुलाब के पुष्प अर्पित कर सुंदर-सुंदर वस्त्र, आभूषण, फल, नैवेद्य इत्यादि चढ़ाकर हाथ जोड़कर शुद्ध अंतर्मन से हमारे द्वारा जाने- अनजाने में किए गए अपराधों की क्षमा मांगनी चाहिए ।

आने वाला पूर्ण वर्ष शुभ फल दाई रहे, घर में सुख शांति बनी रहे, माता लक्ष्मी का वास हो, ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए।

अक्षय तृतीया के दिन करने वाले दान

अक्षय तृतीया के दिन जल से भरे हुए घडे, नमक, खरबूजा, शक्कर, सत्तू आदि धार्मिक कार्यों में उपयोग होने वाली सामग्री का दान करने का विशेष महत्व है। साथ ही साथ अपनी क्षमता अनुसार साधु संतों को, ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, दक्षिणा इत्यादि का दान करना चाहिए।

अक्षय तृतीया में प्रसिद्ध कुछ विशेष कथाएं

प्राचीनकाल मे धर्मराज नामक व्यापारी रहता था । वह बड़ा ही सदाचारी, साधु संतों के प्रति श्रद्धा, ब्राह्मणों का आदर करने वाला था।किसी ब्राह्मण द्वारा अक्षय तृतीया के महत्व को सुनने के पश्चात उसने गंगा स्नान कर विधि विधान से भगवान श्री हरि व मां लक्ष्मी की पूजा की। व्रत धारण किया तथा स्वर्ण, वस्त्र इत्यादि का दान ब्राह्मण एवं साधु-संतों को दिया।

उसका यह नियम वृद्धावस्था तक चलता रहा और फिर वह चल बसा। पिछले जन्म में किए गए अक्षय तृतीया के पूजन की वजह से वह बहुत धनी-प्रतापी हुआ। इस दिन त्रिदेव तक उनकी सभा में ब्राह्मण का वेश धारण कर उसके महायज्ञ में सम्मिलित होते थे । ऐसा माना जाता है कि यही राजा आगे चलकर चंद्रगुप्त के रूप में जन्मा।


स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने ही अक्षय तृतीया के दिन परशुराम के रूप में जन्म लिया । सौभाग्यवती स्त्रियां और कुंवारी कन्या इस दिन गौरी पूजन कर फल, मीठाई एवं भीगे हुए चने चढ़ाती है।

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अक्षय तृतीया और जैन धर्म


कहते हैं कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभदेव भगवान ने 1 वर्ष की तपस्या पूर्ण कर गन्ने के रस से पारायण किया था। गन्ने के रस को ईक्षु कहते हैं, इसी कारण यह दिन ईक्षु त्रतिया या अक्षय तृतीया के नाम से विख्यात है।

FAQ

अक्षय तृतीय में किस भगवान का पूजन किया जाता है

अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता है।

अक्षय तृतीया की तरह ही कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुहूर्त कौन-कौन से हैं ?

चैत्र मास की शुक्लपक्ष की प्रतिपदा याने गुड़ी पाडवा, विजयादशमी याने दशहरा, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा महीने की एकादशी का आधा भाग है।

इस वर्ष अक्षय तृतीया कब से कब तक है?

22 अप्रैल 2023 को सुबह 7:42 से दोपहर बाद 12:20 तक, कुल 4 घंटे और 21 मिनट तक अक्षय तृतीया है।

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