वंदे भारत रेल I Vande Bharat Rail – 15 : Revolutionizing Train Travel
वंदे भारत रेल आधुनिक भारत की एक बहुत बड़ी खोज है।देश की प्रगति में यातायात का एक प्रमुख स्थान है।
आदिकाल से मनुष्य अपने जीविका को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भ्रमण करता रहता है।
समय-समय पर मानव कौशल द्वारा परिवहन में निरंतर सुधार होता रहा है।
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परिवहन
मुख्यतः परिवहन 3 तरह से किया जाता है।
- थल मार्ग
- जल मार्ग
- वायु मार्ग
थल मार्ग
इसमें भी दो प्रकार से हम एक जगह से दूसरी जगह आ जा सकते हैं
a) सड़क मार्ग
B) रेल मार्ग
आज हम यहां बात रेलमार्ग की करेंगे।
वैसे तो भारत देश में पहली रेल 16 अप्रैल सन 1853 में चलाई गई थी। उसका नाम “क्वीन मैरी” था। इस सफर की दूरी 35 किलोमीटर थी, जोकि शिवाजी टर्मिनल से थाना के बीच चलाई गई थी। यह दोनों स्टेशन मुंबई में आते हैं। इस दूरी को तय करने में 1 घंटा और 10 मिनट लग गए थे ।
जहां तक विश्व की पहली रेल की बात की जाए तो यह सबसे पहले 27 सितंबर सन 1825 को लंदन के डार्लिंगटन से scottown तक लगभग 600 यात्रियों को लेकर और 38 रेल के डिब्बों की सहायता से भाप के इंजन द्वारा 27 मील का सफर 14 मील प्रति घंटे की रफ्तार से तय किया गया था।
तब से लेकर अब तक रेल इंजन, रेल डिब्बों, रेल मार्ग इत्यादि में आमूलचूल परिवर्तन होता रहा है।
जहां तक रेल के इंजन की बात करें तो पहले भाप से चलने वाला इंजन कोयले द्वारा अधिक प्रदूषण के साथ आया और इस यात्रा में समय भी ज्यादा लगता था।
बाद में डीजल से चलने वाले इंजन की खोज हुई और साथ ही साथ रेलवे कोच में भी काफी परिवर्तन देखने को मिले।
डीजल इंजन के बाद इलेक्ट्रिक इंजन आया और यात्रा मे लगने वाला समय में भी काफी कमी आई और यात्रियों के सुविधा का भी काफी ध्यान रखा गया। रेलवे स्टेशन बनाए गए। यात्रियों को ठहरने के लिए वातानुकूलित विश्रामगृह भी बनाए गए।
वैसे ही माल ढोने के लिए माल गाड़ियों के डिब्बों को भी आधुनिक तरीके को निर्माण कराया गया और लंबी यात्रा भी काफी कम समय में तय होने लगी।
वंदे भारत रेल
पिछले कुछ वर्षों से भारत में रेल यात्रा करने का अनुभव काफी रोमांचित हो रहा है। इससे लंबी से लंबी यात्रा भी काफी सुगम तरीके से पूर्ण करने का सपना भी पूरा हुआ है।
भारत में पहली वंदे भारत रेलl हमारे देश के आदरणीय प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी के शुभ हस्ते 2019 को हरी झंडी दिखाकर नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाई गई थी।
इस की कुल लागत करीब-करीब 110 करोड रुपए से ₹120 करोड़ तक आई थी।
यह ट्रेन हर महीने करीब 7 करोड रुपए का मुनाफा कमा रही है ।एक अनुमान के मुताबिक यह ट्रेन अपनी लागत करीब-करीब 1 वर्ष में पूरी तरह से निकाल लेगी।
अभी भी यह ट्रेन अपने पूर्ण गति से नहीं चल रही है।
अब इस ट्रेन को दूसरा ट्रैक भी मिल गया है , इससे यह ट्रेन सप्ताह के सभी 7 दिन चलेगी और बहुत जल्दी इसे तीसरा ट्रैक मिलने की भी संभावना है।
ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों को किसी भी प्रकार की कोई सब्सिडी नहीं मिलती है।
बाद में एक से बढ़कर एक लगातार वंदे भारत ट्रेन पटरी पर दौड़ने लगी I
भारत देश में चलने वाली अब तक सभी वंदे भारत ट्रेन की लिस्ट
- वाराणसी के दिल्ली के बीच
- नई दिल्ली से एसएमवीडी कटरा
- मुंबई सेंट्रल से गांधीनगर कैंप
- नई दिल्ली से अंब इंदौरा
- चेन्नई से मैसूर
- बिलासपुर जंक्शन से नागपुर जंक्शन
- हावड़ा से न्यू जलपाईगुड़ी
- सिकंदराबाद से विशाखापत्तनम
- दिल्ली कैंट से अजमेर
लोगों ने यह भी पूछा
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भारत की पहली वंदे भारत ट्रेन कौन सी है ?और यह कहां से कहां तक चली ?
वाराणसी से दिल्ली के बीच I
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कितनी वंदे भारत रेल चलाने का लक्ष्य रखा गया है ?
पूरे भारत देश में कुल 75 वंदे भारत रेल चलाने का लक्ष्य रखा गया है I
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अब तक कुल कितनी वंदे भारत रेल चल रही है ?
अब तक कुल 15 वंदे भारत रेल देश के विभिन्न रेलवे मार्ग पर फर्राटे लगा रही है।
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