Chandrayaan-3 Incredible Journey of Innovation
Chandrayaan-3
Chandrayaan-3 जिस पल का इंतजार भारत देश के साथ-साथ विश्व के करोड़ों- करोड़ों नागरिक कर रहे थे,- वह आखिरकार आज दोपहर 2:35 पर Chandrayaan-3 के सफलतापूर्वक उड़ान भरने पर पूर्ण हुआ।
आज दिनांक 14 जुलाई 2023 शुक्रवार को भारत के आंध्र प्रदेश में स्थित श्रीहरिकोटा सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारत ने अपने तीसरे और अति महत्वपूर्ण चंद्र मिशन के लिए सफलतापूर्वक उड़ान भरी।
इससे पहले भारत नेChandrayaa-1 की सफलता का और Chandrayaan-2 की और असफलता का भी अनुभव किया है।
यह प्रयोग सिर्फ भारत के लिए ही नहीं बल्कि विश्व भर के वैज्ञानिक समुदाय के लिए काफी महत्वपूर्ण माना गया है | इस मिशन द्वारा हमें चांद की उस सतह जानकारी इकठ्ठा करने में मदद मिलेगी , जिसके विषय में अभी तक वैज्ञानिकों के पास कोई अधिक जानकारी मौजूद नहीं है।
चंद्रयान-1
जहां तक कि चंद्रमा मिशन की बात है ,भारत ने पहली बार सन् 2008 में chandrayaan-1 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की थी।
चंद्रयान-1 ने अपने सभी लक्ष्यों और उद्देश्यों को सिर्फ 8 महीने में ही पूर्ण कर लिया था। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा के चारों ओर लगभग 34000 से भी ज्यादा चक्कर लगाए।
भारत सरकार द्वारा इसरो के चंद्रयान प्रस्ताव को 2002 में मंजूरी मिली थी।
इसका कार्यकाल 2 वर्ष का था, लेकिन किन्हीं कारणवश 2009 में chandrayaan-1 का रेडियो संपर्क टूट गया था और इसरो ने मजबूरी वश अपना यह अभियान समाप्त कर लिया।
चंद्रयान-1 ने अपने अभियान के तहत विभिन्न प्रकार की चंद्रमा की सतह से, छाया वाले क्षेत्रों से ,चंद्रमा की चट्टानों की और क्रेटर की विभिन्न विभिन्न तस्वीरें भेजी थी ।
साथ ही साथ चंद्रमा पर खनिज सामग्री और रासायनिक से संबंध में भी कई प्रकार के जानकारियां भेजी थी । और सबसे बड़ी बात यह थी कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर बर्फ संबंधी भी जानकारियां भेजी थी, जिसे आगे चलकर 2018 में नासा ने भी इसकी पुष्टि की।
इससे हम यह कह सकते हैं कि चंद्रमा पर बर्फ के रूप में पानी मौजूद हो सकता है।
Chandrayaan-3 के साथ-साथ लैंडर और रोवर मॉडल भी पेलोड के साथ काम करते रहेंगे। लैंडर का चंद्रमा पर उतरना यह सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण काम होगा,
कारण की सन 2019 में chandrayaan-2 अभियान के तहत विक्रम लैंडर ने थोड़ी हार्ड लैंडिंग की थी, जिससे कि वहअपना कार्य नहीं कर सका और हमारा यह मिशन पूर्ण रूप से असफल रहा।
चंद्रयानमिशन-3 का उद्देश्य chandrayaan-2 द्वारा अपूर्ण रहे गए कार्यों को पूरा करना है।
चंद्रयानमिशन-3
चंद्रयान 3 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका सिलेंडर और रोवर की है। Chandrayaan-3 को LVM3 – SDSC SHAR द्वारा लांच किया गया।
एक विशेष प्रकार का मॉड्यूल जीसे कि हम propulsion module कहते हैं,यह मोडुल लेंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा के 100 किलोमीटर तक ले जाएगा।
Chandrayaan-3 का वजन लगभग 6,42, 000किलो ग्राम है। और इसने करीब करीब 8000 किलोग्राम हैबिटेबल प्लेनेट को लेकर गया है।
Chandrayaan-3 में जिस रॉकेट लॉन्चर का उपयोग किया गया है का नाम एलवीएम 3 है। यह 43.5 मीटर यानी कि करीब करीब 143 फुट ऊंचा है ।
जहां तक अनुभव की बात करें तो एलबीएम 3 ने अपनी यह छठी उड़ान भरी है यह जीएसएलवी MK3 – 1 का उन्नत वर्जन है। इस प्रकार के रॉकेट अलग-अलग 3 स्टेप में काम करते हैं।
जिसमें पहला स्टेप लॉन्चिंग से पहले का काम है दूसरा स्टेप रॉकेट को अंतरिक्ष तक ले जाना और तीसरा स्टेप chandrayaan-3 को धरती की अलग-अलग कक्षाओं में घुमाना है।
Chandrayaan-3 को चंद्रमा की सतह पर उतरने में लगभग 40 से 50 दिनों का समय लग सकता है इस दौरान chandrayaan-3 दस अलग-अलग प्रकार के कामों को पूर्ण करेगा यह करीब धरती के 6 चक्कर लगाने के बाद चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा।
चंद्रमा की सतह पर chandrayaan-3 के मुख्य कार्य
चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद chandrayaan-3 का सबसे पहला कार्य
- चंद्रमा की सतह पर चलकर दिखाना और
- वहां वैज्ञानिक परीक्षण करना होगा
- चंद्रमा पर मौजूद अलग-अलग प्रकार की खनिजों को खोजना है।
Chandrayaan-3 का चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार चंद्रमा 3 ने चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर लिया है।
इस यान ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर लिया।
इसरो के वैज्ञानिकों ने बताया कि अब धीरे-धीरे chandrayaan-3 की गति को कम किया जाएगा और उसे फिर चंद्रमा की अगली कक्षा में पहुंचाया जाएगा। इस तरह यह प्रक्रिया 6 अगस्त के आधी रात तक पूरी हो जाएंगी ।
यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण होने पर 6 अगस्त को दोपहर बाद इसे चंद्रमा की तीसरी कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा । इसी तरह 14 अगस्त को चौथी और 16 अगस्त को चंद्रमा की पांचवी कक्षा में चंद्रयान 3 को पहुंचाने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी।
इसरो से संबंधित वैज्ञानिकों ने बताया है कि भारत के तीसरे चंद्र मिशन की स्थिति अब तक पूरी तरह से सामान्य है और 23 अगस्त को chandrayaan-3 को चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास किया जाएगा।
अगर chandrayaan-3 की 23 अगस्त को चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग हो जाती है, तो भारत देश विश्व का पहला देश बन जाएगा जिसने की चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर अपना यान उतारा है ।chandrayaan-3 यह चंद्र दिवस के लिए काम करेगा जो पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर होता है।
Chandrayaan-3 कुल कितने किलोमीटर की यात्रा करेगा ?
3.5 लाख किलोमीटर की यात्रा करेगा
चंद्रमा की सतह पर कब तक उतरेगा ?
चंद्रमा की सतह पर अगस्त 2023 के अंतिम सप्ताह में उतरने की उम्मीद है।
Chandrayaan-3 अभियान पर करीब करीब कितना खर्चा आया है
मिशन में 615 करोड़ का खर्च आएगा।
Chandrayaan-3 अभियान का मुख्य कार्य क्या रहेगा ?
चंद्रमा की सतह पर का तापमान कैसा है, वहां भूकंप कितनी तीव्रता के आते हैं ,और कितने आते हैं वहां का प्लाज्मा का इन्वायरमेंट कैसा है और वहां की मिट्टी में कौन से कौन से तत्व मौजूद है इस प्रकार के विभिन्न कार्य करना है।
इस में लगी हुई बैटरी कितने दिनों तक कार्य करती है और यह कैसे चार्ज होती है ?
इस में लगी हुई बैटरी करीब-करीब 14 दिनों तक कार्य कर सकती है इसमें एक छोटा सा सोलर पैनल भी लगा है जिसके द्वारा बैटरी पुनः चार्ज हो सकती है।
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